नई दिल्ली | 10 दिसंबर 2025
ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर एक बड़े फैसले में ऑस्ट्रेलिया सरकार ने 16 साल से कम उम्र के सभी बच्चों के लिए सोशल मीडिया का उपयोग पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया है। यह नियम 10 दिसंबर से लागू हो गया है। सरकार का कहना है कि इस कदम का उद्देश्य बच्चों और किशोरों को साइबरबुलिंग, हानिकारक कंटेंट और मानसिक स्वास्थ्य जोखिमों से बचाना है।
यह किसी लोकतांत्रिक देश द्वारा लागू किए गए सबसे कड़े सोशल मीडिया आयु-नियमों में से एक माना जा रहा है, जिसने पूरी दुनिया में नई बहस छेड़ दी है।
सरकार ने यह कदम क्यों उठाया?
ऑस्ट्रेलियाई सरकार का कहना है कि पिछले कई वर्षों से बच्चों के ऑनलाइन अनुभव में गंभीर खतरे बढ़ रहे हैं, जिनमें शामिल हैं—
- साइबरबुलिंग और ऑनलाइन ट्रोलिंग
- हिंसक, यौन या चरमपंथी सामग्री से संपर्क
- अत्यधिक स्क्रीन टाइम की लत
- सोशल मीडिया से मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव
- अनजान लोगों से ऑनलाइन गलत बातचीत
सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि यह कानून “बच्चों को एक सुरक्षित, स्वस्थ डिजिटल बचपन देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।”
नया कानून कैसे काम करेगा?
इस नियम के तहत सभी प्रमुख सोशल मीडिया कंपनियों को:
- उपयोगकर्ताओं की आयु की पहचान (Age Verification) अनिवार्य रूप से करनी होगी
- 16 वर्ष से कम किसी भी व्यक्ति को प्लेटफॉर्म पर अकाउंट बनाने से रोकना होगा
- 16–18 वर्ष के उपयोगकर्ताओं के लिए अतिरिक्त कंटेंट फ़िल्टर लगाने होंगे
- माता-पिता के लिए बेहतर रिपोर्टिंग और मॉनिटरिंग टूल उपलब्ध कराने होंगे
अनुपालन न करने वाली कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा।
किन प्लेटफॉर्म्स पर बैन लागू होगा?
16 साल से कम उम्र के बच्चे अब इन प्लेटफॉर्म्स पर अकाउंट नहीं बना पाएंगे—
- TikTok
- Snapchat
- X (Twitter)
- YouTube (कम्युनिटी फ़ीचर व कमेंटिंग सीमित)
- अन्य सभी प्रमुख सोशल नेटवर्क
कई माता-पिता ने इस फैसले का स्वागत किया है, लेकिन डिजिटल राइट्स समूहों का कहना है कि इससे बच्चे अनियमित या अंडरग्राउंड ऐप्स की ओर भी जा सकते हैं।
सोशल मीडिया कंपनियों की प्रतिक्रिया
टेक कंपनियों की प्रतिक्रिया मिश्रित रही—
- कुछ कंपनियों ने नियम का पालन करने की सहमति जताई, लेकिन तकनीकी चुनौतियों की बात कही।
- कुछ का मानना है कि यह फैसला अन्य देशों में भी इसी तरह के सख्त बदलावों का रास्ता खोल सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम वैश्विक डिजिटल नीति की दिशा बदल सकता है।
क्या अन्य देश भी ऐसा कदम उठाएंगे?
ब्रिटेन, अमेरिका, भारत और कनाडा जैसे देशों में भी बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर सख्त नियमों पर चर्चा चल रही है।
भारत में भी स्कूली बच्चों में साइबरबुलिंग और हानिकारक कंटेंट की शिकायतें बढ़ रही हैं, जिससे इस मुद्दे पर नई बहस शुरू हो गई है।
कुछ विशेषज्ञ ऑस्ट्रेलिया के इस कदम को “मॉडल पॉलिसी” बता रहे हैं जिसे अन्य देश भी अपनाने पर मजबूर हो सकते हैं।
विशेषज्ञों की चेतावनी
कुछ डिजिटल नीति विशेषज्ञों ने कहा कि यह कानून अच्छा कदम है, लेकिन इसके साथ-साथ—
- डिजिटल शिक्षा
- माता-पिता की निगरानी
- सुरक्षित ऐप डिज़ाइन
भी उतना ही आवश्यक है।
आगे क्या होगा?
कानून लागू होने के बाद, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को छह महीने के भीतर आयु सत्यापन प्रणाली पूरी तरह लागू करनी होगी।
सरकार 2026 में एक राष्ट्रीय समीक्षा करेगी, जिसमें देखा जाएगा कि:
- बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हुआ या नहीं
- साइबरबुलिंग के मामले कम हुए या नहीं
- कंपनियों ने नियमों का पालन किया या नहीं
- माता-पिता और स्कूलों की प्रतिक्रिया क्या रही
दुनिया की नज़र अब ऑस्ट्रेलिया पर है कि यह साहसी कदम बच्चों की डिजिटल सुरक्षा को कितना मजबूत बनाता है।
Source: News Agencies